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डिजिटल मुद्रा पर हो रहा विश्वयुद्ध

March 01, 2020

विश्वपत्रिका संपादकीय - रविकांत तिवारी

जब भारत में नोट बंदी हुई, तब भारत सरकार ने हर दिन इस अभूतपूर्व कदम के लिए नया कारण और लाभ घोषित किया था | उन अनेकों लाभ में से एक था भारत को एक डिजिटल आर्थिक शक्ति बनाने का भी था | कैशलेस भारत!

ठीक उसी समय अमरीका और चीन एक और मोर्चे पर प्रतिस्पर्धा कर रहे थे | वे दोनों डिजिटल मुद्रा को मुख्यधारा की मुद्रा बना कागजी मुद्रा को समाप्त करने पर अनुसंधान कर रहे थे | विश्व में अमरीका का दबदबा उस की अमरीकन डॉलर के वर्चस्व के कारण है| यदि उसकी मुद्रा को कोई भी चुनौती उभरती है, तो अमरीका उसको सहन नहीं करता |चीन ने अमरीका से सभी मोर्चे पर लोहा लिया है, और अनेक मोर्चों पर उसने अमरीका को हराया भी है| किन्तु डिजिटल मुद्रा एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ अमरीका अपनी हार कभी भी बर्दाश्त नहीं कर सकता|चीन अब अमरीका को डिजिटल करेंसी के क्षेत्र में चुनौती देने को तैयार है | और इस वर्ष हम इस कड़ी प्रतिस्पर्धा के साक्षी होंगे|

चीन इस क्षेत्र में अमरीका से बहुत आगे है, जल्द चीन का केंद्रीय बैंक इस डिजिटल करेंसी का परीक्षण करने की तैयारी कर रहा है । चीन में करोड़ों उपभोक्ता बिना नकदी के खरीददारी अनेक ऑनलाइन एप या स्मार्टफोन से करते हैं, चीन में वैसे तो नागरिकों के लिए अनेक प्रतिबन्ध हैं, किन्तु जहाँ वैश्विक प्रतिस्पर्धा की बात आती हैं, वहां चीनी सरकार लालफीताशाही समाप्त कर देती है| दूसरी तरफ अमरीका में अनेक नियम और नियमन लागू हो जाते हैं, व् किसी भी नई प्रौद्योगिकी या फिर अनुसंधान को लागू करते करते कीमती समय निकल जाता हैं

हाँ, ऐमज़ॉन एवं फेसबुक ने इस क्षेत्र में प्रगति कर प्रारंभिक बढ़त बनी ली, इसी से चीन में और तेज़ी आ गयी | अमेज़न का तो ठीक था, किन्तु जब फेसबुक ने अपनी डिजिटल करेंसी को लांच करने घोषणा करी, तब चीन को यह उसकी हितों और महत्वकांक्षाओ पर एक प्रत्यक्ष धमकी जैसी लगी| इसका कारण था की चीन में क्रेडिट कार्ड बहुत काम लोगों के पास था व अमरीका में लोग क्रेडिट कार्ड का बहुतायत इस्तेमाल करते हैं |

फेसबुक को इस्तिमाल करने वाले बहुत हैं, और अगर इसका डिजिटल करेंसी भी सफल हो गया, तो वो चीन की वैश्विक नेतृत्व को सीधी चुनौती है| पिछले कुछ सालों से चीन ने अपने फेसबुक पर किसी न किसी बहाने से प्रतिबंध लगा लगाया है|फेसबुक के ढाई सौ करोड़ उपयोगकर्ता हैं, और फेसबुक इन्ही को जल्द से जल्द अपनी करेंसी "लीब्रा" का ग्राहक बनाना चाहता है|

उधर चीनी केंद्रीय बैंक शीघ्र ही अपनी डिजिटल मुद्रा “युआन” लाने की कवायद में है|

ये देखना दिलचस्प होगा की क्या अमरीका के कड़े नियम अमरीका के आड़े आएंगे या फिर फेसबुक जल्द ही अपनी मुद्रा को लेकर जो चिंताएं जताई है, जैसे की मनी लॉन्ड्रिंग, गोपनीयता व उपभोक्ता संरक्षण उसका जल्द निवारण कर चीन को इस मोर्चे पर मात दे सकेगा |

“विश्व डिजिटल मुद्रा के ओर तेज़ी से कदम बढ़ा रहा है, सभी देश की सरकार चाहती हैं की "पल्स्टिक" मुद्रा पूर्णतः समाप्त कर दी जाए ”

चिंता का विषय यह है की डिजिटल करेंसी से आम जनता के व्यक्तिगत अधिकार का हनन हो सकता है व सरकार के पास सभी नागरिकों के व्यक्तिगत जानकारी व् क्रय विक्रय का लेख जोखा रहेगा जो उनुचित है

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